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ED Raid In Ranchi: झारखंड शराब घोटाला में ED का बड़ा एक्शन, IAS विनय चौबे समेत 17 ठिकानों पर छापेमारी

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HelloCities24
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ED Raid: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को झारखंड में आईएएस (IAS) अधिकारी विनय कुमार चौबे और कुछ अन्य सरकारी अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की. यह छापेमारी झारखंड के कथित शराब घोटाले के मामले में की गई.

ED Raid: रांची के आईएएस अधिकारी विनय चौबे(IAS officer Vinay Chaubey) समेत कई लोगों के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है. शराब घोटाला मामले में ये कार्रवाई हुई है. प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार सुबह को झारखंड के वरिष्ठ आईएएस विनय चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह समेत अन्य के करीबी रिश्तेदारों और संबंधित अधिकारियों के चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) सहित 17 ठिकानों पर छापेमारी की है.

छापेमारी छत्तीसगढ़ पुलिस की एफआईआर के आधार पर की

बीते 7 सितंबर को रायपुर में छत्तीसगढ़ पुलिस एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक मामला दर्ज किया था, जिसमें आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, इंडियन टेलीकॉम सर्विस के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और चार अन्य के भी नाम थे. इसी एफआईआर पर स्वतः संज्ञान लेकर ईडी ने मंगलवार को छापेमारी की है. ईडी की छापेमारी टीमों के साथ सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के जवान भी मौजूद रहे.

पहले भी ईडी शराब घोटाला मामले में कर चुकी है छापेमारी

बता दें कि इससे पहले भी ईडी ने शराब घाटोला मामले में झारखंड के 7 जिलों और बंगाल के दो जिलों समेत कुल 33 ठिकानों पर छापा मारा था. उस वक्त छापेमारी के जद में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के बेटे रोहित उरांव और शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी, शेल कंपनियां चलाने वाले लोग आए थे. बाद में इस मामले में योगेंद्र तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया. उनके खिलाफ ईडी ने आरोप पत्र भी दायर किया था. जिसमें उन्होंने बालू और जमीन कारोबार की कमाई को शराब के व्यापार में लगाने की बात कही थी.

अधिकारियों पर कई तरह के लगे आरोप

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आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे 1999 बैच के अधिकारी हैं. वर्तमान में झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग के सचिव हैं. साल 2022 में जब झारखंड सरकार ने नई एक्साइज नीति लागू की थी, तो उस वक्त विनय कुमार चौबे ही सीएम हेमंत सोरेन के मुख्य सचिव और एक्ससाइज विभाग के सचिव पद पर थे. पुलिस एफआईआर में कहा गया है कि झारखंड शराब नीति के जरिए शराब कारोबारियों के अवैध गठजोड़ को फायदा पहुंचाया गया और इससे झारखंड सरकार के खजाने को नुकसान हुआ. राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है.  

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