Dr Thiagarajan SM: बिहार के प्रशासनिक गलियारों में एक नाम खूब गूंज रहा है – डॉ. त्यागराजन एसएम. यह नाम है पटना के नए जिलाधिकारी का, जिनके कंधों पर अब राजधानी की बागडोर है. बिहार कैडर के हर युवा आईएएस अधिकारी का सपना होता है कि एक बार वे पटना के डीएम बनें. यह पद सिर्फ उन्हीं को मिलता है, जो कर्मठ, तेजतर्रार और प्रशासनिक रूप से बेहद सक्षम होते हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजरों में डॉ. त्यागराजन उनके सर्वश्रेष्ठ अधिकारियों में से एक हैं, तभी तो उन्हें गया, नालंदा और दरभंगा जैसे प्रमुख जिलों में शानदार काम करने के बाद अब पटना बुलाया गया है. हर जिले में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है और उम्मीद है कि पटना को भी उनसे एक नई दिशा मिलेगी.
प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण: नालंदा से दरभंगा तक का सफर
डॉ. त्यागराजन एसएम की प्रशासनिक यात्रा पूर्णिया से शुरू हुई, जहाँ उन्होंने प्रशिक्षु आईएएस के रूप में काम किया. इसके बाद पटना सिटी में एसडीओ के तौर पर उनकी पहली नियुक्ति हुई. बिहारशरीफ नगर निगम के आयुक्त रहते हुए उन्होंने स्वच्छता के क्षेत्र में बेहतरीन काम किए.
अगस्त 2015 में उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने गृह जिले नालंदा का जिलाधिकारी बनाया. यहाँ उन्होंने राजगीर के भूई गांव में ठोस कचरा प्रबंधन की एक ऐसी बेहतरीन योजना बनाई, जिसकी देश-विदेश में भी तारीफ हुई. नालंदा को स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल कराना हो या मॉडल गांव चम्हेड़ा का विकास, डॉ. त्यागराजन का योगदान हमेशा याद किया जाता है. उनके इन शानदार कामों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में उन्हें सम्मानित भी किया था.
फरवरी 2019 में वे दरभंगा जिले के डीएम बने. वहाँ भी उन्होंने अपने मजबूत प्रशासनिक निर्णयों और दूरदर्शिता से जिले को एक नई पहचान दी. फेम इंडिया और एशिया पोस्ट के एक सर्वे में उन्हें दस मापदंडों पर “विलक्षण” श्रेणी का अधिकारी घोषित किया गया था. उनकी जवाबदेही, संवेदनशीलता और तेजी से निर्णय लेने की क्षमता की चारों ओर सराहना हुई.
तमिलनाडु से बिहार तक की प्रेरक यात्रा
डॉ. त्यागराजन एसएम का जन्म 20 दिसंबर 1984 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता एस मोहन राम और माता उमा देवी हैं. उन्होंने 2008 में एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. इसके बाद, 2010 में उन्होंने आईपीएस बनकर ओडिशा में एएसपी के रूप में सेवा दी.
लेकिन, प्रशासनिक क्षेत्र में और गहराई से काम करने की उनकी ललक ने उन्हें 2011 में आईएएस बनने के लिए प्रेरित किया, और वे इस परीक्षा में सफल भी रहे. उनकी यह यात्रा कई लोगों के लिए प्रेरणा है.
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