Delhi Artificial Rain: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि आईआईटी-कानपुर की टीम के सहयोग से मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में कृत्रिम वर्षा की शुरुआत करते हुए क्लाउड सीडिंग का पहला ट्रायल किया गया. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ऐसे कई और प्रयोग किए जाएंगे.
आधे घंटे की प्रक्रिया में 8 झोंकों में छिड़काव
#WATCH | Delhi | "The second trial of cloud seeding was conducted in Delhi by IIT Kanpur through Cessna Aircraft. The aircraft entered Delhi from the direction of Meerut. Khekra, Burari, North Karol Bagh, Mayur Vihar were covered under this. 8 flares were used in cloud seeding.… pic.twitter.com/xMby0wBLJh
— ANI (@ANI) October 28, 2025
कानपुर से उड़ान भरने वाले सेसना विमान ने बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार के ऊपर बादलों पर रसायनों का छिड़काव किया. यह प्रक्रिया करीब आधे घंटे तक चली. हर झोंके में 2 से 2.5 किलो रसायन छोड़ा गया, जिसकी अवधि दो से ढाई मिनट रही. सिरसा ने बताया कि उस समय बादलों में 15 से 20 प्रतिशत आर्द्रता मौजूद थी और कुल 17 से 18 मिनट तक प्रभावी छिड़काव हुआ.
अभी भारी बारिश की संभावना नहीं
आईआईटी-कानपुर के विशेषज्ञों के अनुसार रसायन छोड़ने के 15 मिनट से चार घंटे के भीतर हल्की बारिश होने की उम्मीद रहती है, हालांकि कम नमी के कारण भारी वर्षा की संभावना कम है. बाहरी दिल्ली में दूसरा ट्रायल भी मंगलवार को पूरा कर लिया गया.
#WATCH | Delhi Minister Manjinder Singh Sirsa says, "The second trial of cloud seeding has been done in Delhi. This was done by IIT Kanpur through Cessna Aircraft. The aircraft entered Delhi from the direction of Meerut. Khekra, Burari, North Karol Bagh, Mayur Vihar were covered… pic.twitter.com/h41NBQ8CEI
— ANI (@ANI) October 28, 2025
अगले चरण में 9-10 और प्रयोग होंगे
मंत्री सिरसा ने कहा कि हवा की दिशा उत्तर की ओर रहने के चलते उन्हीं इलाकों को टारगेट किया जा रहा है. उनका कहना है कि यह कदम वायु प्रदूषण घटाने के उद्देश्य से उठाया गया है और सफलता मिली तो फरवरी तक दीर्घकालिक रणनीति लागू की जाएगी, जिससे देश में पहली बार वैज्ञानिक तरीके से प्रदूषण कम करने का प्रयास साधा जाएगा.
पहली उड़ान 4,000 फीट, दूसरी 6,000 फीट की ऊंचाई पर
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पहले फेज में 4,000 फीट की ऊंचाई से छह झोंकों में रसायन छोड़ा गया. दोपहर 3:55 बजे दूसरी उड़ान भरी गई, जिसमें 5,000-6,000 फीट की ऊंचाई से आठ झोंकों का छिड़काव किया गया.
क्लाउड सीडिंग पर 3.21 करोड़ रुपये की लागत
इस परियोजना के लिए डीजीसीए समेत 10 से अधिक केंद्रीय और राज्य एजेंसियों से मंजूरी ली गई है, जिनमें रक्षा, गृह और पर्यावरण मंत्रालय भी शामिल हैं. दिल्ली कैबिनेट ने 7 मई को पांच परीक्षणों के लिए 3.21 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, लेकिन मौसम की बाधाओं के चलते इनका कार्यक्रम कई बार आगे बढ़ाना पड़ा.
विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरणविदों का मानना है कि कृत्रिम बारिश से वायु गुणवत्ता में थोड़े समय के लिए सुधार संभव है, हालांकि यह कदम दिल्ली की प्रदूषण समस्या की जड़ों पर असर नहीं डाल पाएगा.
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