बिजली आपूर्ति कंपनियों ने बिहार में बीते एक अप्रैल से लागू नयी बिजली दर पर आपत्ति जतायी है. बिहार विद्युत विनियामक आयोग के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर कंपनी ने कहा है कि अंतिम फैसले में आयोग ने नुकसान का अधिक आकलन किया है, जिससे कंपनी की आय बढ़ गयी है.
कहा-आयोग से नुकसान आकलन में हुई गड़बड़ी संवाददाता, पटना बिजली आपूर्ति कंपनियों ने बिहार में बीते एक अप्रैल से लागू नयी बिजली दर पर आपत्ति जतायी है. बिहार विद्युत विनियामक आयोग के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर कंपनी ने कहा है कि अंतिम फैसले में आयोग ने नुकसान का अधिक आकलन किया है, जिससे कंपनी की आय बढ़ गयी है. अब आयोग कंपनी की इस दलील को आधार बनाते हुए याचिका पर विचार कर रहा है. याचिका में कंपनी ने कहा है कि कंपनी के वास्तविक खर्च का सही तरीके से आकलन नहीं हुआ है. इस आकलन में कंपनी को जितना पैसा खर्च के लिए मिलना चाहिए, वह नहीं मिल सका है. याचिका के मुताबिक नॉर्थ एवं साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 35,303 करोड़ रुपये मांगे थे, लेकिन आयोग ने 32,741 करोड़ की ही मंजूरी दी और 1614.12 करोड़ सरप्लस आमदनी बतायी. इस पर आयोग ने कंपनी को निर्देश दिया है कि वह पुनर्विचार याचिका को सार्वजनिक करे और समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों को बताए कि गड़बड़ी कहां हुई है? पुनर्विचार याचिका पर आम लोगों की राय लेने के बाद ही आयोग कोई निर्णय लेगा. अगर आयोग कंपनी की पुनर्विचार याचिका पर उसके पक्ष में फैसला सुनाता है तो बिहार में बिजली दर में वृद्धि हो सकती है, जिसका सीधा असर राज्य के दो करोड़ बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. मालूम हो कि बिजली दर में 3.03 फीसदी वृद्धि के कंपनी के प्रस्ताव को बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने खारिज कर दी थी. आयोग ने लगभग दो फीसदी बिजली सस्ती की. सस्ती बिजली होने से सभी श्रेणियों की बिजली दर में 15 पैसे प्रति यूनिट की कमी हो गयी.