Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य न सिर्फ राजनीति और रणनीति के माहिर थे, बल्कि जीवन प्रबंधन की गहरी समझ भी रखते थे. उनकी नीतियां आज भी इंसान के सोचने का तरीका और जीवन जीने की शैली बदल देती हैं. उनका कहना था कि जुबान इंसान की सबसे बड़ी ताकत भी है और सबसे बड़ी कमजोरी भी. इसलिए यह समझना बेहद जरूरी है कि किस वक्त बोलना है और कब खामोश रहना ही बेहतर है. सही समय पर बोले गए शब्द इंसान की तकदीर बदल सकते हैं, जबकि गलत मौके पर कही बात रिश्तों और सम्मान दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है.
शब्दों की ताकत को समझें
चाणक्य के अनुसार इंसान के शब्द उसकी पहचान बनाते हैं. अगर बोलचाल में मिठास होगी तो लोग आकर्षित होंगे, लेकिन कटु वाणी से अच्छे रिश्ते भी टूट सकते हैं. इसलिए हर शब्द सोच-समझकर कहना जरूरी है.
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कब जरूरी है आवाज उठाना
चुप रहना हमेशा समझदारी नहीं होता. चाणक्य नीति कहती है कि अन्याय, बुराई और सच छिपाने के हालात में इंसान को अपनी बात रखनी चाहिए. सही समय पर बोला गया सच न सिर्फ इज्जत दिलाता है बल्कि आपकी छवि को मजबूत बनाता है.
कब खामोशी है सबसे बड़ा जवाब
हर स्थिति में बोलना सही नहीं होता. चाणक्य कहते हैं कि गुस्से के समय, विवाद की स्थिति में या जब सामने वाला सुनने के लिए तैयार न हो, तब चुप रहना ही बेहतर है. ऐसी खामोशी से अनावश्यक टकराव से बचा जा सकता है और धैर्य की परीक्षा भी मजबूत होती है.
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