Success Story: अक्सर कहा जाता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती. बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) की कठिन परीक्षा में बिना किसी महंगी कोचिंग के सफलता हासिल कर डिंपल ज्योति रानी ने इस बात को सच कर दिखाया है. एक साधारण पिकअप ड्राइवर की बेटी और आंगनवाड़ी सेविका की संतान, ज्योति रानी ने सीनियर डिप्टी कलेक्टर (SDM) का पद हासिल कर लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की है. उनकी यह यात्रा न केवल लगन और मेहनत का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे डिजिटल शिक्षा सही दिशा में प्रयास करने पर किसी भी बाधा को पार कर सकती है.
कौन हैं SDM ज्योति रानी?
पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल प्रखंड के जोकियारी पंचायत के चिकनी गांव की मूल निवासी ज्योति रानी एक बेहद साधारण परिवार से आती हैं. उनके पिता का नाम और व्यवसाय अज्ञात है, लेकिन वह एक पिकअप ड्राइवर के रूप में काम करते हैं और उनकी माँ एक आंगनवाड़ी सेविका हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद, ज्योति के पिता ने उनकी पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी. ज्योति ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पटना में रहकर पूरी की और उसके बाद उनका पूरा ध्यान बीपीएससी परीक्षा की तैयारी पर केंद्रित हो गया.
लॉकडाउन ने बदला रास्ता
एक निजी कंपनी में शानदार पैकेज पर नौकरी मिलने के बावजूद, कोरोना वायरस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने ज्योति से यह अवसर छीन लिया. यह उनके लिए एक नया मोड़ साबित हुआ. उन्होंने इस समय का उपयोग बीपीएससी परीक्षा की तैयारी में पूरी तरह से खुद को झोंक दिया. पहले प्रयास में उन्हें असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
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ट्रेन में आया ‘सफलता’ का फोन
ज्योति को आखिरकार बीपीएससी 67वीं परीक्षा में सफलता हासिल हुई. वह बताती हैं कि जब उनका परिणाम आया, तब वह ट्रेन में थीं. अपना रिजल्ट जानकर उनकी आँखों में आंसू आ गए. रोते हुए उन्होंने तुरंत अपने पिता को फोन किया और कहा, “पापा, मैं SDM बन गई!” यह खबर सुनकर उनके पिता की आँखें भी नम हो गईं.
ज्योति रानी की यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला रखते हैं. यू-ट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सदुपयोग कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि सही दिशा और अथक प्रयास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है.