विक्रमशिला विश्वविद्यालय
Vikramshila University: विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पास केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अब निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है. कहलगांव के अंतीचक और मलकपुर मौजा में कुल 187.785 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक अधिसूचना जारी कर दी गई है. अधिग्रहण केवल रैयती और अनावाद सर्वसाधारण की भूमि का होगा. बिहार सरकार एवं शिक्षा विभाग की भूमि को इससे बाहर रखा गया है.
सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित भूमि पर किसी सार्वजनिक संपत्ति, स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र, धार्मिक स्थल या बाजार का अस्तित्व नहीं है. साथ ही सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं होगा. अंतीचक में 105 भू-स्वामियों की 92.15 एकड़ जमीन तथा मलकपुर में 136 भू-स्वामियों की 95.615 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाएगी.
जमीन ज्यादातर भीठ-2 श्रेणी की है. अधिसूचना के अनुसार भूमि अधिग्रहण योजना की निगरानी जिला भू-अर्जन पदाधिकारी करेंगे. परियोजना से स्थानीय लोगों को उच्च शिक्षा, रोजगार और क्षेत्रीय विकास के अवसर मिलेंगे. इसके साथ ही विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पटना ने कहलगांव के अंतीचक और मलकपुर मौजा की कुल 187.785 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की है. इनमें अंतीचक से 92.15 एकड़ और मलकपुर से 95.615 एकड़ भूमि शामिल है.
यह अधिग्रहण केवल रैयती और अनावाद सर्वसाधारण की भूमि का होगा. बिहार सरकार और शिक्षा विभाग की जमीनों को अधिग्रहण से बाहर रखा गया है.
सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार परियोजना क्षेत्र में कोई सार्वजनिक संपत्ति नहीं है. स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र, बाजार, धार्मिक स्थल या अन्य सार्वजनिक भवन यहां मौजूद नहीं हैं. इस कारण परियोजना को लेकर कोई नकारात्मक सामाजिक प्रभाव नहीं बताया गया है.
अंतीचक मौजा में 105 भू-स्वामियों की भूमि अधिग्रहण की जाएगी जिसमें अधिकतर भूखंड भीठ, आम बाग और ताड़ के बाग हैं. वहीं मलकपुर में 136 भू-स्वामियों की भूमि अधिग्रहित की जायेगी जिसमें मुख्य रूप से भीठ-2 श्रेणी की जमीन है.
केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना से अंतीचक, मलकपुर और आसपास के इलाकों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त होगी. इसके साथ ही कृषि, व्यापार और शहरीकरण की संभावनाएं बढ़ेंगी. क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास भी सुनिश्चित होगा.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की अधिसूचना के अनुसार इस योजना की निगरानी जिला भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा की जायेगी. इससे भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति सुनिश्चित होगी.