Bihar News: भागलपुर-जगदीशपुर के बीच बहने वाली पुरैनी नदी का सुरक्षा तटबंध पिछले साल की विनाशकारी बाढ़ में कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन साल भर बीत जाने के बाद भी इसकी मरम्मत नहीं कराई गई है. इस उपेक्षा के कारण डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों के लोग संभावित बाढ़ के खतरे से अभी से ही भयभीत हैं. यदि मानसून में नदी का जलस्तर बढ़ता है और यह क्षतिग्रस्त तटबंध टूटता है, तो भयंकर तबाही मच सकती है, जिससे घरों में पानी घुस जाएगा और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा.
मरम्मत में देरी का कारण: मुआवजे का अभाव और फंड की कमी
बाढ़ नियंत्रण कार्य प्रमंडल, भागलपुर के कार्यपालक अभियंता आदित्य प्रकाश के अनुसार, तटबंध की मरम्मत में देरी का मुख्य कारण किसानों को उनकी अधिग्रहित भूमि का मुआवजा न मिलना है. कुछ किसानों को अभी तक मुआवजा राशि नहीं मिली है, जिसके चलते वे मरम्मत कार्य नहीं करने दे रहे हैं. मुआवजे के लिए फंड की कमी भी एक बड़ी बाधा है. अभियंता ने बताया कि मुआवजा राशि के आवंटन के लिए फाइल तैयार कर ली गई है और अगले 10 दिनों में भेज दी जाएगी. आवंटन मिलने के बाद किसानों को मुआवजा दिया जाएगा और फिर तटबंध की मरम्मत का कार्य योजना में शामिल कर निविदा निकाली जाएगी.
खतरे में पड़ चुके गांव
पुरैनी नदी के तटबंध के क्षतिग्रस्त होने से जिन गांवों पर सीधे बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है, उनमें बदलूचक, पुरैनी, सारथ, अंगारी, नया टोला, दोस्तैनी, बरडिहा, कोला खुर्द, भड़ोखर, छोटी दोस्तैनी, बड़ी दोस्तैनी, फतेहपुर, भवानीपुर, बलुआचक आदि शामिल हैं.
चांदन की मुख्यधारा; पुरैनी नदी
भागलपुर-बांका जिले की सबसे बड़ी और विशाल चांदन नदी जगदीशपुर प्रखंड में पांच भागों में बंट जाती है, जिनमें पुरैनी इसकी मुख्यधारा है. पुरैनी में ही सर्वाधिक पानी आता है और यही सबसे ज्यादा तबाही लाती है. इसके अलावा कोकरा, नाढ़ा, खलखलिया और अन्य सहायक नदियां भी हैं, जिनके सुरक्षा तटबंध भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं और उनकी भी मरम्मत नहीं कराई गई है.
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नाममात्र की मरम्मत: मिट्टी से भरे बोरे भी बहे
पुरैनी नदी के क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मत के नाम पर सिर्फ मिट्टी से भरे बोरे रखे गए थे, जिनमें से भी कई जगहों से बोरे बह गए हैं. तटबंध पूरी तरह से खोखला हो गया है और भागलपुर-जगदीशपुर मुख्य मार्ग से इसे पतला सा देखा जा सकता है, जो पानी के दबाव को सहने की क्षमता नहीं रखता.
ग्रामीणों की दर्दनाक यादें; 1995 की भयानक बाढ़
अंगारी गांव के अनंदी प्रसाद सिंह ने 1995 की बाढ़ को याद करते हुए बताया कि जब नदी उफनाई थी, तो भागलपुर-मंदारहिल रेलवे लाइन तक क्षतिग्रस्त हो गया था. सैकड़ों कच्चे मकान गिरे थे, झोपड़ियां बह गई थीं और डेढ़ दर्जन से अधिक गांव बाढ़ में डूब गए थे. इससे न सिर्फ फसल, बल्कि जान-माल को भी भारी नुकसान पहुंचा था. सरकार की ओर से गुड़-चूढ़ा बांटकर लोगों ने कई दिन गुजारे थे. अनिल कुमार और राजीव कुमार जैसे अन्य ग्रामीणों ने भी अपने घरों के छत पर रात बिताने और पानी में घरों के बह जाने की दर्दनाक दास्तां साझा की.
बाढ़ की विभीषिका के वर्ष
यह क्षेत्र पिछले कुछ दशकों में कई बार बाढ़ की विभीषिका झेल चुका है. प्रमुख बाढ़ वर्ष 1980, 1984, 1995, 1999, 2001, 2003 और 2005 रहे हैं.
ग्रामीणों ने प्रशासन से पुरैनी नदी के क्षतिग्रस्त तटबंध की अविलंब मरम्मत कराने की मांग की है ताकि आने वाले मानसून में संभावित बाढ़ के खतरे से बचा जा सके और जान-माल के नुकसान को रोका जा सके.