Bhagalpur News: बिहार में नशा विरोधी अभियान के बीच एक बार फिर भागलपुर के भव्या स्टोर पर छापेमारी हुई, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी कोई आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली. उत्पाद विभाग को मिली गुप्त सूचना के आधार पर अवर निरीक्षक गौतम कुमार के नेतृत्व में दुकान की सघन तलाशी ली गई. आरोप रॉकी और बंटी नाम के दो व्यक्तियों पर था, लेकिन न ब्राउन शुगर मिला, न ही कोई नशीली सामग्री. दुकान संचालक रॉकी पांडे इसे साजिश बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें बार-बार फंसाने की कोशिश हो रही है. सवाल यह है कि क्या प्रशासन ऐसे झूठी शिकायतों पर अब कोई कार्रवाई करेगा?
बाईपास थाना क्षेत्र स्थित भव्या स्टोर पर उत्पाद विभाग की यह छठी छापेमारी थी. गौतम कुमार के नेतृत्व में विभाग ने दुकान की एक-एक चीज की तलाशी ली, लेकिन कोई भी प्रतिबंधित वस्तु बरामद नहीं हुई. इसके बाद विभाग ने स्पष्ट रूप से लिखित बयान दिया कि तलाशी के दौरान कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला. इस पर दुकान संचालक रॉकी पांडे से हस्ताक्षर भी लिए गए.
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दुकान मालिक रॉकी पांडे ने बताया कि कुछ लोग उन्हें बदनाम करने के लिए जानबूझकर झूठी शिकायतें कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं, पहले भी 4-5 बार छापेमारी हो चुकी है, लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ा.” रॉकी का कहना है कि यह उनके व्यापार को नुकसान पहुंचाने की सोची-समझी साजिश है, और किसी व्यक्ति द्वारा पैसे देकर यह झूठा मामला खड़ा कराया जा रहा है.
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या बार-बार झूठी शिकायतों के आधार पर हो रही छापेमारी सिर्फ संसाधनों और समय की बर्बादी नहीं? जब हर बार विभाग को खाली हाथ लौटना पड़ता है, तो क्या शिकायतकर्ता की भूमिका की जांच नहीं होनी चाहिए? शराबबंदी और नशा नियंत्रण जैसे अहम विषयों पर कार्रवाई के नाम पर अगर साजिश रची जा रही हो, तो यह कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है.
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