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Bihar Election: सीट बंटवारे पर महागठबंधन में हलचल तेज, कांग्रेस के लिए फिर उठाई 90 सीटों की मांग

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HelloCities24
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Bihar Election: बिहार महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर हलचल तेज हो गई है. वाम दलों के बाद अब पप्पू यादव ने कांग्रेस को लेकर बड़ा दावा कर दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को कम-से-कम 90 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, तभी महागठबंधन में गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों का भरोसा बनेगा. इससे पहले सीपीआई महासचिव डी राजा ने भी तेजस्वी यादव से 24 सीटों की मांग की थी. सीट शेयरिंग पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. हालांकि कांग्रेस नेता इस मामले में चुप हैं. 

कांग्रेस को 90 सीटें चाहिए, तभी बदलेगा बिहार : पप्पू यादव

पप्पू यादव ने मंगलवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “कांग्रेस को सौ सीटों को लक्ष्य बनाकर कम से कम 90 सीटों पर लड़ना चाहिए. बिहार में दलित, अति पिछड़ा, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, महिला, युवा और सभी समाज के गरीब कांग्रेस के भरोसे पर ही महागठबंधन से जुड़ेंगे. अन्यथा उनका भरोसा नहीं जागेगा. बिहार में विपक्ष को सभी वर्ग का वोट चाहिए, तभी बदलाव होगा.”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सीटों की गिनती नहीं करनी चाहिए, बल्कि ज़मीनी सच्चाई को देखना चाहिए. विपक्षी एकता तभी मजबूत होगी जब कांग्रेस के साथ समाज का विश्वास भी जुड़ा होगा.

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पहले भी उठा चुके हैं मांग

पप्पू यादव इससे पहले भी कई बार कह चुके हैं कि कांग्रेस को बिहार में 100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. अब उन्होंने 90 सीटों की बात दोहराकर साफ कर दिया है कि वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. महागठबंधन के भीतर सभी घटक दल अपनी-अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने में लगे हैं.

दीपंकर भट्टाचार्य की सीपीआईएमएल, सीपीआई और सीपीएम समेत वाम दल पहले ही राजद के सामने 35 सीटों की मांग रख चुके हैं. इधर वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी भी अपने लिए दोहरे अंकों में सीटें चाहते हैं. ऐसे में आरजेडी के लिए संतुलन बैठाना चुनौतीपूर्ण हो गया है.

क्या हो सकता है महागठबंधन का सीट फार्मूला?

सूत्रों की मानें तो 243 विधानसभा सीटों में महागठबंधन में आरजेडी को 140, कांग्रेस को 52, वाम दलों को 35 और मुकेश सहनी की वीआईपी को 15 सीटें दी जा सकती हैं. हालांकि यह केवल संभावित फार्मूला है, जिस पर औपचारिक सहमति नहीं बनी है.

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अगर पशुपति पारस की RLJP भी महागठबंधन में शामिल होती है तो उन्हें भी 3-4 सीटें मिल सकती हैं. लेकिन जिन दलों ने खुलकर सीटों की मांग की है, उन्होंने संकेत दे दिया है कि इस बार वे “सम्मानजनक हिस्सेदारी” से कम में नहीं मानेंगे.

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