Bihar Chunav 2025: पटना में मंगलवार को महागठबंधन की ओर से जारी किए गए संयुक्त घोषणा पत्र ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’ में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने शराबबंदी कानून पर बड़ा बयान दिया. उनका कहना है कि इस कानून ने सबसे अधिक नुकसान पासी समाज को पहुंचाया है, जबकि ताड़ी को लेकर गलत धारणाएं बनाई गई हैं. तेजस्वी के अनुसार ताड़ी नशे वाली चीज नहीं, बल्कि प्राकृतिक पेय है.
तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी राजनीति सत्ता हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि बिहार को नई दिशा देने के लिए है. उनका आरोप है कि जो लोग बिहार को केवल कब्जाने की नीयत से राजनीति करते हैं, वे कभी भी राज्य को विकास के रास्ते पर नहीं ले जा सकते.
शराबबंदी कानून में संशोधन का भरोसा, पासी समाज को राहत की तैयारी
महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने दावा किया कि अगर उनकी सरकार बनी तो शराबबंदी कानून में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे. उन्होंने साफ कहा कि ताड़ी को इस कानून की श्रेणी से पूरी तरह बाहर रखा जाएगा, ताकि पासी समाज की जीविका पर पड़े असर को खत्म किया जा सके.
तेजस्वी ने कहा कि ताड़ी में अल्कोहल नहीं होता है, फिर भी वर्तमान कानून ने इसे शराब की श्रेणी में डालकर पासी समुदाय के हजारों परिवारों की कमाई पर भारी चोट की है. यह फैसला उस समुदाय के साथ अन्याय है, जो पीढ़ियों से इसी काम पर निर्भर रहा है.
उनका यह आश्वासन उन तबकों में तेजी से चर्चा में है जो नौ वर्षों से शराबबंदी के दौरान प्रशासनिक अभियान का बोझ झेलते आए हैं.
शराबबंदी की समीक्षा और जेलों में बंद गरीबों को राहत देने का ऐलान
तेजस्वी यादव ने यह भी स्पष्ट किया कि सत्ता में आने पर ‘बिहार प्रोहिबिशन एंड एक्साइज एक्ट’ की पूरे तौर पर समीक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा कि ताड़ी और महुआ आधारित पारंपरिक रोजगार को मद्यनिषेध कानून से अलग किया जाएगा, जिससे गरीब और दलितों के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके. तेजस्वी ने यह भी कहा कि इस कानून की वजह से जेलों में बंद हजारों गरीबों को तत्काल राहत दी जाएगी.
आरजेडी नेता का कहना है कि ताड़ी बेचने वाले समुदाय के पास न खेत हैं और न ही कोई दूसरा रोजगार. ऐसे में पूर्ण प्रतिबंध गैर-वाजिब है, जिसे बदलना अब समय की जरूरत है.
2016 में लागू की गई पूर्ण शराबबंदी आज भी विवादों में
बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. उस समय सरकार ने इसे महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक सुधार के तर्क के साथ लागू किया था. हालांकि प्रतिबंध के बाद अवैध शराब कारोबार के बढ़ने और निर्दोष गरीबों की गिरफ्तारी जैसी समस्याएं लगातार सवाल खड़े कर रही हैं.
कई रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि शराबबंदी कानून के तहत बड़ी संख्या में दलित, महादलित और पिछड़े वर्गों के लोग आज भी जेलों में हैं. इसी वजह से तेजस्वी यादव का बयान राजनीतिक के साथ-साथ सामाजिक संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
वाम दल भी कानून में बदलाव को बता रहे जरूरी कदम.
वाम दलों ने भी इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव का समर्थन किया है. सीपीआई एमएल लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य पहले ही इस कानून को ढोंग करार दे चुके हैं. उनका कहना है कि INDIA गठबंधन की सरकार बनने पर इसकी गंभीर समीक्षा की जाएगी.
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि तेजस्वी का यह रुख एक सोची-समझी रणनीति है. इससे पासी समाज सहित वह पिछड़ा और दलित वर्ग भी उनसे जुड़ सकता है, जो वर्षों से शराबबंदी के सीधे असर को झेल रहा है. तेजस्वी खुद को एक ऐसे नेता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं जो परंपरा और आजीविका दोनों के साथ न्याय करने की कोशिश कर रहा है.
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