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Bhagalpur News: भागलपुर में सफाई का संकट टला, नगर निगम और एजेंसियों में बनी बात

भागलपुर न्यूज

रंजिश में दहियार को मारी गोली

Bhagalpur News: शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर पिछले कुछ समय से चल रही अनिश्चितता पर शनिवार को आखिरकार विराम लग गया. स्थायी समिति की बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसके तहत शहर की सफाई का काम अब निरंतर जारी रहेगा. दोनों प्रमुख सफाई एजेंसियां सीबीएस और साइन अपने कार्यों को पूर्ववत जारी रखेंगी, जिससे शहर में कूड़े के अंबार लगने की आशंका खत्म हो गई है.

यह फैसला तब आया है, जब 26 मई को दोनों एजेंसियों द्वारा 1 जून से काम बंद करने का पत्र निगम को सौंपा गया था, जिससे शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया था. इस पत्र के बाद से ही शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों तक में कूड़े का अंबार लगना शुरू हो गया था, जिसने निगम प्रशासन की चिंता बढ़ा दी थी.

बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि नये नगर आयुक्त के वापस आने तक बिल भुगतान से संबंधित कोई भी चर्चा नहीं की जायेगी, लेकिन शहर को साफ रखने का काम नहीं रुकेगा.

क्यों आया था संकट?

दरअसल, 26 मई को दोनों एजेंसियों ने नगर निगम को पत्र सौंपकर 1 जून से काम बंद करने की चेतावनी दी थी. उनका कहना था कि उन्हें दो महीने से करीब 70 लाख रुपये का बिल नहीं मिला है, और गाड़ी में तेल भरवाने या सफाईकर्मियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं. इस चेतावनी के बाद शहर में कूड़े का अंबार लगना शुरू हो गया था, जिससे निगम प्रशासन चिंतित था. एजेंसियों को यह भी भनक लग गई थी कि पूर्व नगर आयुक्त ने उन्हें हटाने और ब्लैकलिस्ट करने का आदेश फाइल पर लिख दिया है, हालांकि इस पर कोई आधिकारिक नोटिस जारी नहीं हुआ था.

स्थायी समिति का फैसला और चेतावनी

स्थायी समिति की बैठक में मेयर डॉ. बसुंधरा लाल और प्रभारी नगर आयुक्त कुंदन कुमार ने एजेंसियों से फोन पर बात की. उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना एक महीने के नोटिस के काम छोड़ने पर सिक्योरिटी मनी जब्त कर ली जाएगी और एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा. एजेंसियों ने अपनी आर्थिक स्थिति बताते हुए बिल भुगतान और कर्मचारियों के वेतन में मदद मांगी. समिति ने उन्हें आश्वासन दिया कि नए नगर आयुक्त के लौटने पर (28 जून को वित्तीय पावर मिलने पर) भुगतान किया जाएगा.

सफाईकर्मियों को भी समझाया जाएगा

बैठक में यह भी तय हुआ कि सफाईकर्मियों को समझाया जाएगा कि वे अपने एरियर और वेतन के लिए एजेंसियों पर दबाव न डालें और फिलहाल हड़ताल के बारे में न सोचें. उन्हें वेतन मिलने में देरी का तकनीकी कारण भी समझाया जाएगा. इस बीच, पिछले एक महीने में 414 नए स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं, जिनसे 5560 परिवार जुड़े हैं. यह कदम महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण में मदद कर रहा है.

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