Bhagalpur City: बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर में सामाजिक और कृषि विकास से जुड़ी दो महत्वपूर्ण पहलों का उद्घाटन हुआ.

Bhagalpur City: बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर में सामाजिक और कृषि विकास से जुड़ी दो महत्वपूर्ण पहलों का उद्घाटन हुआ. भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर का भ्रमण किया, जहां उन्होंने सामाजिक और कृषि विकास से जुड़ी दो महत्वपूर्ण पहलों का उद्घाटन किया. जिलाधिकारी ने सर्वप्रथम नव स्थापित क्लॉथ बैंक का शुभारंभ किया, जो जरूरतमंदों को आवश्यक वस्त्र उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक सामाजिक पहल है. इसके बाद, उन्होंने बायोइन्फॉर्मेटिक्स लैब का उद्घाटन किया, जो कृषि क्षेत्र में कम्प्यूटेशनल अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
उल्लेखनीय है कि यह प्रयोगशाला डेटा- संचालित नवाचारों को बढ़ावा देने और कृषि अनुसंधान को मजबूत करने में सहायक होगी.
अपने भ्रमण के दौरान, जिलाधिकारी ने कृषि विश्वविद्यालय की प्रमुख शोध सुविधाओं का निरीक्षण किया, जिनमें टिशू कल्चर लैब, बायोफर्टिलाइजर उत्पादन इकाई, हाइड्रोपोनिक्स सुविधा, एडीएसएस लैब और अन्य अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ शामिल हैं. उन्होंने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से बातचीत की और बीएयू में हो रहे अग्रणी अनुसंधान कायों की गहन जानकारी प्राप्त की. उन्होंने विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान और बिहार के किसानों की उत्पादकता एवं सतत कृषि विकास के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की.
इस अवसर पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी आर सिंह द्वारा स्मृति चिह्न एवं शॉल से जिलाधिकारी को सम्मानित किया गया.
शोध विस्तार और किसान संपर्क को मजबूत करने की आवश्यकता है: डीएम
जिलाधिकारी ने शोध-विस्तार-और-किसान संपर्क को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे वैज्ञानिक नवाचारों को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू किया जा सके. उन्होंने विश्वविद्यालय को स्थानीय किसानों के साथ सहयोग जारी रखने के लिए प्रेरित किया ताकि अनुसंधान को व्यावहारिक रूप से लागू किया जा सके, जिससे मृदा स्वास्थ्य में सुधार, फसल उत्पादन में वृद्धि और दीर्घकालिक कृषि स्थिरता सुनिश्चित हो सके.
जिलाधिकारी की इस भ्रमण ने कृषि विकास में वैज्ञानिक अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया. उन्होंने किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी पहलों को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. शोध आधारित समाधानों और किसान सहभागिता के महत्व को रेखांकित करते हुए, जिलाधिकारी ने विश्वविद्यालय, सबौर के साथ अपने संवाद को सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और बिहार के कृषि भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.
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