Bangladesh Protests: बांग्लादेश में आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. आरक्षण के विरोध में चल रहा आंदोलन हिंसक होता जा रहा है. आंदोलनकारियों ने क्रिकेटरों के घरों को भी नहीं बख्शा है. बीते सोमवार को परिस्थितियों को बिगड़ता देख बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ चली गयी.
Bangladesh Protests: बांग्लादेश में आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है. हिंसा के बीच खबर आ रही है कि बांग्लादेश के पूर्व क्रिकेट कप्तान मशरफे मुर्तजा के घर में तोड़-फोड़ हुई है. जानकारी के अनुसार पूर्व क्रिकेटर मशरफे मुर्तजा भी शेख हसीना की पार्टी, अवामी लीग से सांसद चुने गए थे. मशरफे मुर्तजा के घर का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आ रहा है. विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मुर्तजा के घर को आग के हवाले कर दिया है. आग लगाए जाने से पहले घर में तोड़फोड़ की गई है. वहीं, लूटपाट का भी मामला सामने आया है. देश में तख्तापलट हो गया है. मशरफे मुर्तजा ने बांग्लादेश के लिए 20 साल क्रिकेट खेला और लंबे समय तक कप्तान भी रहे. अपने ऐतिहासिक करियर में उन्होंने 36 टेस्ट मैच खेले, जिनमें उनके नाम 78 विकेट और 797 रन हैं. 220 वनडे मुकाबलों में उनके नाम 270 विकेट हैं और एक बल्लेबाज के तौर पर उन्होंने 1,787 रन बनाए हैं. अपने 54 मैचों के टी20 करियर में उन्होंने 42 विकेट और 377 रन बनाए.
मुर्तजा इसी साल लगातार दूसरी बार नरैल-2 सीट से सांसद चुने गए थे. मशरफे मुर्तजा के घर में आग लगाने के अलावा हिंसक तत्वों ने जिले में स्थित आवामी लीग के कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया है. वहीं जिले में पार्टी के प्रेसिडेंट सुभाष चंद्र बोस के घर में तोड़फोड़ की गई है. बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का मशरफे मुर्तजा बहुत करीबी माना जाता है. बता दें, मशरफे मुर्तजा बांग्लादेश में नरैल-2 निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं. मामले की गंभीरता इतनी है कि हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया गया है. इधर, नारायणगंज-4 निर्वाचन क्षेत्र और आवामी पार्टी से जुड़े कई नेताओं के घरों में लूटपाट और तोड़फोड़ की खबर है. शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद उनके सरकारी आवास में लूटपाट, तोड़फोड़ की गई है.
हिंसक वारदातों के बीच यह भी खबर आ रही है कि ढाका में बांग्लादेश के चीफ जस्टिस के घर में प्रदर्शनकारियों द्वारा लूटपाट की गई. बांग्लादेश की सड़कों पर केवल सेना के जवान ही तैनात हैं, लेकिन उनकी तादाद कम है. बांग्लादेश की पुलिस व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है, सड़कों पर कोई पुलिस नहीं है. यहां तक कि बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड के जवानों को भी वापस बुला लिया गया है और वे ड्यूटी पर नहीं हैं.
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