Bhagalpur Railway: भागलपुर-टिकानी सेक्शन में रेलवे ट्रैक के किनारे बनी अस्थायी झोपड़ियों और मवेशियों के शेड को हटाने के लिए मालदा डिवीजन ने बेदखली अभियान चलाया. 16 जून को इंजीनियरिंग और आरपीएफ की संयुक्त टीम ने कुल 38 अवैध ढांचों को हटाया. यह कदम मवेशियों के ट्रैक पर भटकने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया.
सीआरओ (कैटल रन ओवर) की घटनाएं न केवल ट्रेनों की रफ्तार में रुकावट पैदा करती हैं, बल्कि यात्रियों और कर्मचारियों की जान भी जोखिम में डालती हैं.
ट्रैक सुरक्षा के लिए रेलवे का विशेष अभियान
मालदा डिवीजन इन दिनों रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है. आम लोगों को ट्रैक के किनारे मवेशी न चराने और अस्थायी ढांचे न बनाने की सलाह दी जा रही है. रेलवे का कहना है कि ट्रैक पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण न केवल अवैध है, बल्कि यह गंभीर दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकता है.
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बेदखली के साथ-साथ रेलवे गांवों और कस्बों में सूचना अभियान भी चला रहा है ताकि लोग रेल संचालन में सहयोग करें.
सीआरओ घटनाएं कैसे बनती हैं बड़ी चुनौती?
सीआरओ यानी कैटल रन ओवर की घटनाएं विशेषकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में ट्रेनों की समयबद्धता पर असर डालती हैं. कभी-कभी बड़ी संख्या में जानवर ट्रैक पार करते वक्त ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं, जिससे इंजन और ट्रैक को नुकसान पहुंचता है.
इससे न केवल रेल सेवाएं प्रभावित होती हैं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है. रेलवे ने स्पष्ट किया है कि ऐसी घटनाएं दोहराई गईं, तो कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.