Kolkata : कोलकाता के अलीपुर महिला सुधार गृह के बाहर हर शाम आलू के पकौड़े, कटलेट और अन्य नाश्तों की खुशबू हवाओं में फैलती है. राहगीर बीच रास्ते में रुककर स्वादिष्ट व्यंजन खरीदते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि इन व्यंजनों को बनाने वाली महिलाएं जेल की कैदी हैं. यह छोटा सा स्टाल कैदियों और समाज के बीच सेतु का काम करता है, जो उन्हें बाहरी दुनिया से जुड़ने और अपने आत्मसम्मान को दोबारा हासिल करने का अवसर देता है.
अभिन्नो पहल: कैदियों को जेल में आजीविका और आत्मविश्वास
यह स्टाल पश्चिम बंगाल सुधार सेवा विभाग द्वारा जुलाई में शुरू की गई ‘अभिन्नो’ (एकीकृत) योजना का हिस्सा है. इसका उद्देश्य कैदियों को जेल में रहते हुए आजीविका कमाने और आत्मविश्वास हासिल करने में मदद करना है. कैदियों द्वारा बनाए गए व्यंजन और हस्तशिल्प सीधे जनता को बेचे जाते हैं. अधिकारियों के अनुसार यह पहल जेल सुधार में नए मानक स्थापित कर रही है. बंगाल के सुधार सेवा मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने कहा कि यह परियोजना कैदियों को सम्मानजनक और सशक्त अनुभव प्रदान करती है.
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कैदियों को प्रशिक्षण और रिहाई के बाद लाभ
एक गैर-सरकारी संगठन कैदियों को प्रशिक्षण देता है. उनसे होने वाली कमाई कैदियों के कल्याण कोष में जाती है और नियमित वेतन रिहाई के समय उन्हें दिया जाता है. अलीपुर महिला सुधार गृह में लगभग 25 कैदी इस पहल का हिस्सा हैं, जिनमें आठ रोजाना स्टाल चलाती हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मंजूरी और डिजिटल उद्घाटन
प्रेसिडेंसी रेंज के डीआइजी (कारागार) देबाशीष चक्रवर्ती ने बताया कि इस योजना को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तुरंत मंजूरी दी और स्वयं इसका नाम ‘अभिन्नो’ रखा. जुलाई में इसका डिजिटल उद्घाटन किया गया. अलीपुर में शुरू हुआ यह प्रयोग अब बंगाल की अन्य जेलों में आदर्श बन गया है.
कैदियों और समाज के बीच पुल का काम करती पहल
यह पहल कैदियों को न केवल आजीविका देती है, बल्कि उन्हें सामाजिक जुड़ाव और आत्म-सम्मान भी प्रदान करती है. स्टाल के माध्यम से कैदियों को सम्मानजनक काम का अनुभव मिलता है, जिससे जेल के भीतर अकेलेपन और समाज से कटाव की भावना कम होती है.
स्टाल के माध्यम से कैदियों को कौशल और अनुभव का अवसर
हर दिन स्टाल कैदियों को नए कौशल सीखने और अनुभव हासिल करने का अवसर देता है. उनके द्वारा बनाए गए उत्पाद स्थानीय लोगों में लोकप्रिय हो रहे हैं. कैदियों के लिए यह न केवल कमाई का जरिया है, बल्कि समाज में फिर से मान-सम्मान हासिल करने का भी माध्यम बन गया है.
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