Trump Tariff: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत पर निशाना साधते हुए तीखा बयान दिया है. ट्रंप ने कहा कि जब तक भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगा, अमेरिका टैरिफ लगाता रहेगा. रविवार को एयर फोर्स वन पर प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर भारत अपनी ऊर्जा नीति में कोई बदलाव नहीं करता, तो अमेरिकी टैरिफ लगातार लागू रहेंगे.
मोदी-ट्रंप बातचीत पर उठा सवाल
ट्रंप से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि अगर उस बातचीत में रूस के तेल को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, तो टैरिफ की स्थिति बनी रहेगी. हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने इस दावे को खारिज किया है. मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच हुई बातचीत का विषय रूस का तेल नहीं था.
गाजा शांति योजना पर हुई थी चर्चा
रणधीर जायसवाल के अनुसार, 9 अक्टूबर 2025 को हुई फोन कॉल में गाजा शांति योजना पर हुई प्रगति और व्यापारिक सहयोग की चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं के बीच ऊर्जा या तेल आयात पर कोई बातचीत नहीं हुई. प्रवक्ता ने मीडिया से आग्रह किया कि तथ्यों को सही संदर्भ में प्रस्तुत किया जाए और भारत की नीति को लेकर भ्रम न फैलाया जाए.
पश्चिमी देशों का रूस पर दबाव
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब पश्चिमी देश रूस से ऊर्जा संबंधों को सीमित करने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं. उनका कहना है कि रूस के साथ व्यापार उसके सैन्य अभियानों को आर्थिक मदद देता है. हालांकि भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह से राष्ट्रीय हित, स्थिर कीमतों और नागरिकों की आवश्यकताओं पर आधारित है.
भारत का रुख—नीति नहीं बदलेगी
भारत ने कई मौकों पर कहा है कि ऊर्जा सोर्सिंग किसी बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होगी. भारत का लक्ष्य घरेलू जरूरतों को पूरा करना और उपभोक्ताओं को स्थिर मूल्य पर ऊर्जा उपलब्ध कराना है. इस नीति के तहत भारत अपनी आवश्यकताओं के अनुसार रूस से तेल खरीदता रहेगा.
टैरिफ का असर और संभावनाएं
ट्रंप के बयान से संकेत मिलता है कि वाशिंगटन भारत पर नए टैरिफ लगाने पर विचार कर सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत के आयातकों और ऊर्जा क्षेत्र पर कुछ आर्थिक दबाव पड़ सकता है, लेकिन भारत की नीति स्पष्ट है—राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है, किसी विदेशी दबाव में निर्णय नहीं लिया जाएगा.
राजनीतिक बयान या दबाव रणनीति?
भारतीय विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान वैश्विक और घरेलू दोनों स्तरों पर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है. उन्होंने इसे चुनावी बयानबाजी और रणनीतिक दबाव की राजनीति से जोड़ा है. भारत ने अपने जवाब में यह दोहराया कि उसकी ऊर्जा नीति स्वतंत्र और दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर आधारित है.
भारत की ऊर्जा नीति बनी रहेगी अडिग
ट्रंप की धमकी भरे बयानों के बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा है. मोदी सरकार का रुख स्पष्ट है—रूस से तेल की खरीद का फैसला भारत के उपभोक्ता हित और आर्थिक स्थिरता के अनुसार होगा. बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच भारत ने यह दिखा दिया है कि उसकी नीति किसी दबाव से नहीं, बल्कि अपने निर्णय और हितों से तय होगी.
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